तख्ते पर एक दूसरे के सामने तकिए लगाए (बैठे) होंगे और कहा करते थे कि भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी और हडिडयाँ (ही हडिडयाँ) रह जाएँगे لَا يَسْمَعُوْنَ فِيْهَا لَغْوًا وَّلَا تَأْثِيْمًاۙ - ٢٥ तो (उस के लिए) आराम व आसाइश है और ख़ुशबूदार फूल https://www.bacadenk.com/4786/surat-al-waqiah-arab.html